वन्य जीवों के मसीहा महावीर बिश्नोई (The Messiah of Wildlife, Mahaveer Bishnoi)| वर्षों से कर रहे हैं वन्य जीवों की सेवा

आइए जाने वन्य जीवों के मसीहा महावीर बिश्नोई को बारे में।


१. घायल हिरण का उपचार करते हुए महावीर बिश्नोई। २. श्रीमती सुनीता बिश्नोई हिरणों को दुध पिलाते हुए।
१. घायल हिरण का उपचार करते हुए महावीर बिश्नोई। 
२. श्रीमती सुनीता बिश्नोई हिरणों को दुध पिलाते हुए। 

  महावीर बिश्नोई : जीवन परिचय

महावीर बिश्नोई थिराजवाला गांव पीलीबंगा तहसील व जिला हनुमानगढ़ के निवासी श्री हेतराम बिश्नोई के पुत्र है। वर्तमान में आप अपने गाँव मे ही रहते है। लेकिन करीबन 7 या 8 साल पहले तक गाँव से बाहर ही रहते थे।

अपने जीवन में वन्य जीवों के प्रति लगाव के बारे में महावीर बिश्नोई ने बताया कि गाँव आने के बाद एक दिन रास्ते पर खड़े हुए उनकी नज़र गाँव के ही लड़के पर पड़ी जो हिरण के शावक को बैलगाड़ी में लिए आ रहा था। वे जिज्ञासावश उसके पास गये और बच्चे के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि बच्चा खेत के बने कमरे में अकेला बैठा था। शाम होने के कारण कुत्तो के मार दिए जाने के भय से घर पर लाया गया है। अगले दिन वो भी हिरण की सुंदरता के वशीभूत होकर उनके घर देखने चले गए। जाए भी क्यों ना वन व वन्यजीवों के प्रति प्रेम की भावना बिश्नोइयों में जन्म से होती है। गुरु जाम्भोजी के परम संदेश व अपने पुर्वजों की प्रेरक परंपरा को आज भी सिद्दत से पालन करते हैं, इसी का यह उदाहरण है। वहाँ पर पिंजरे में बंद नन्हे बच्चे को देखा तो उनके मन मे भी इसी तरह हिरण को पालने का विचार आया और उनसे बातो ही बातो में इस बारे में कहा तब उन्होंने कहा कि यही बच्चा ले जाओ क्योकि हमारे घर पर पालतू कुत्ते है। इसलिए उन्हें डर था कि वो इसे कहीं मार न दे। 

तब बिश्नोई उस हिरण के नन्हें बच्चे को अपने घर पर ले आए और उसे पालने लगे। उस मादा बच्चे का नाम सीटू रखा थोड़े ही समय में सीटू सबसे घुलमिलकर परिवार का ही सदस्य बन गया



इसी तरह एक दिन गाँव के नजदीक हिरण के बच्चे को कुत्तो ने घायल कर दिया तो घर पर हिरण पाला होने कारण लोगों ने उन्हें सूचना दी। सूचना मिलने पर बिश्नोई मौके पर पहुंचे और हिरण के बच्चे को घर पर लेकर आए और उसका उपचार किया। धीरे - धीरे गाँव के लोग वन्यजीव के घायल होने पर बिश्नोई को सूचित करने लगे और घायल वन्यजीवों को उपचार तथा देखभाल हेतु घर पर लाया जाने लगा।

वक्त के साथ - साथ सेवा कार्य की जानकारी मिलने पर आसपास के लोग भी वन्यजीवों के घायल होने की सूचना देने लगे या उपचार तथा देखभाल हेतु स्वयं ही वन्यजीवों को घर पर पहुंचाने लगे। समय के साथ सेवा कर्म में साथ देने वाले सहयोगियों ओर कार्यक्षेत्र का दायरे के साथ घायल तथा बेसहारा वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ती गयी। इन सभी जीवों को घर के कमरों में परिजनों की भांति रखा जाने लगा। उनके उपचार और देखभाल महावीर बिश्नोई की धर्मपत्नी, बच्चों सहित परिवार के सभी लोग करने लगे।


हिरण के बच्चों को दुध पिलाते
 १. महावीर बिश्नोई  २. श्रीमती सुनीता बिश्नो


बिश्नोई आगे बताते हैं कि जब भी कोई घायल वन्यजीव आता है तो सभी जी-जान से उसे बचाने की कोशिश में लग जाते है। उनकी पत्नी(श्रीमती सुनीता बिश्नोई) अपनी पंचायत में पंचायत सहायक के पद पर कार्यरत है। जो पंचायत समय के अलावा पूरा समय इन बच्चों की देखभाल में ही बिताती हैं। जिसमे बच्चे भी सहयोग करते हैं। अब हर साल सैंकड़ो की संख्या में हिरण, नीलगाय व मोर एवं लगभग सभी प्रकार के घायल वन्यजीवों को उपचार के लिए घर पर लाया जाता या लोग स्वयं छोड़ जाते हैं। जिसमे से कई वन्य जीवों को ज्यादा घायल होने के कारण प्राथमिक उपचार के पश्चात वन विभाग को सुपुर्द कर दिया जाता है। बहुत से बच्चों को उपचार के पश्चात अपने पास ही रखते हैं जबतक कि पुर्णत: स्वस्थ न हो जाए। लगभग 1 साल की उम्र होने पर स्वस्थ तथा बड़े होने की स्थिति में उन्हें बिश्नोई समाज की विभिन संस्थाओ द्वारा संचालित उद्यानों में भिजवा दिया जाता है या सुरक्षित जगहों पर छोड़ दिया जाता है।
हिरण को दुध पिलाते महावीर बिश्नोई
हिरण को दुध पिलाती दम्पति 

 वन्यजीवों की संख्या बढ़ने पर कमरो में साथ रखना मुश्किल होने पर महावीर बिश्नोई ने साल भर पहले घर की खाली पड़ी जगह में वन्यजीवों हेतु 40×70 का अलग से उद्यान बनवाया जिसके चारो तरफ ऊंची चारदीवारी बनाकर एक 15×40 की जगह में हॉल का निर्माण किया गया। घायल वन्य जीवों के चारे की व्यवस्था हेतु महावीर बिश्नोई अपनी 1 बीघा जमीन में वन्यजीवों के लिए साल भर मौसम के अनुकूल हरा चारा बोते है। कार्य व वित्तीय भार बढ़ने पर अपने स्तर पर वन्य जीवों के लिए और समाज सेवा के विभिन्न कार्य हेतु
"खिराजवाला सेवा संस्थान, थिराजवाला" के नाम से समिति का गठन किया है। समिति की शाखा के रूप में वन्यजीवों हेतु रेस्क्यू सेंटर के रूप श्री गुरु जम्भेश्वर वन्यजीव उद्यान की स्थापना इनके द्वारा की गई है। यदा - कदा कुछ जीव प्रेमियों द्वारा दिए गए आर्थिक सहयोग को छोड़कर लगभग निजी स्तर और निजी खर्चे पर ही वन्य जीवों की देखरेख की जा रही है। वन्यजीवों की सेवा में निस्वार्थ भाव को देखते हुए महावीर बिश्नोई और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता बिश्नोई को उपखण्ड स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।
उपखण्ड  स्तर पर एसडीएम ने किया सम्मानित
उपखण्ड अधिकारी ने किया सम्मानित 

महावीर बिश्नोई जीव रक्षा के अलावा गौरक्षा तथा विभिन्न धार्मिक संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। वर्तमान में विश्व हिन्दू परिषद में पीलीबंगा के तहसील अध्यक्ष के प्रभारी के रूप में विहप संगठन में कार्य कर रहे हैं। इससे पहले विहिप के तहसील पीलीबंगा के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके अलावा अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की ग्राम इकाई में सचिव के रूप में मे अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।

घायल हिरण को उपचार के लिए ले जाती श्रीमती सुनीता विश्नोई
घायल हिरण को रेसक्यु किया।
२. बच्चों को दुध पिलाती श्रीमती सुनीता बिश्नोई 


बिश्नोइज्म परिवार वन्य जीवों के मसीहा महावीर बिश्नोई को दिल से सेल्युट करता है। आइए हम भी इनसे प्रेरणा लेकर वन्य जीवों को बचाए, संरक्षण करें।




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