बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस : कार्तिक बदी अष्टमी संवत् 1542 को गुरु जंभेश्वर जी ने बिश्नोई धर्म की स्थापना की

 बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस : कार्तिक बदी अष्टमी संवत् 1542 को गुरु जंभेश्वर जी ने बिश्नोई धर्म की स्थापना की

बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस : कार्तिक बदी अष्टमी संवत् 1542 को गुरु जंभेश्वर जी ने बिश्नोई धर्म की स्थापना की




बीकानेर, रविंद्र आर्य |

हाँ, कार्तिक बदी अष्टमी 24 अक्टूबर 2024 को बिश्नोई समुदाय के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन बिश्नोई धर्म का 540वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। गुरु जंभेश्वर जी ने इसी दिन 1485 में बिश्नोई धर्म की स्थापना की थी। बिश्नोई धर्म में 29 नियमों का पालन करने का संदेश दिया गया है, जिसमें प्रकृति, पर्यावरण और जीव-जंतुओं की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह दिन बिश्नोई समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है।

चौदहवीं-पंद्रहवीं शताब्दी में जब भारत में धर्म की अत्यंत दुर्दशा हो रही थी, लोग जीवन जीने की युक्ति भूल चुके थे। भारतवर्ष पर लगातार विदेशी आक्रमणकारियों के प्रकोप के कारण तथा यहां उनकी सत्ता स्थापित होने के बाद भारत की मूल चेतना धूल धूसरित हो गई थी। तब मारवाड़ में संवत् 1542 (सन् 1485) में कार्तिक वदी अष्टमी को श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने समराथल धोरा पर पाहल बनाकर व कलश स्थापना कर धर्म की संस्थापना की जिसे बिश्नोई धर्म नाम दिया गया। सबसे पहले गुरु जंभेश्वर भवगान ने अपने चाचा पुल्हो जी को पाहल पिलाकर बिश्रोई धर्म में शामिल किया। गुरू जंभेश्वर भगवान ने इसे अपनाने वाले के लोगों के लिए 29 धर्म नियम प्रणित किए। इन नियमों की परिपाटी का एक सहज धर्म का मार्ग है जिस पर चलकर मनुष्य बहुत सरलता से परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है।

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