बिश्नोईज्म डॉट ऑर्ग : Bishnoism.Org
बिश्नोईज्म डॉट ऑर्ग
पृष्ठ पर आपका हार्दिक स्वागत, अभिनंदन है . आज होली की पावन रात्रि में इस पोर्टल के लिए प्रथम बार लेखन करते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है. बिश्नोई कौन है? बिश्नोई जाती है या धर्म? ऐसे ही अनेक प्रश्न प्राय हमें अपने जीवन के हर क्षेत्र में पूछने को मिलते हैं. इस ब्लॉग के माध्यम से ऐसे प्रश्नों का स्वत: उत्तर दिया जाएगा. बिश्नोई संस्कृति,सभ्यता भारत की सर्वश्रैष्ठ अहिंसात्मक परंपरा "जीव दया पालणी" की संवाहक रही है. जिसका प्रतिरूप इस ब्लॉग पर अद्यतन किया जाएगा. सूचना व प्रौद्योगिकी के इस दौर में बिश्नोई संस्कृति के प्रचार-प्रसार को वैश्विक पटल पर रखने की दिशा में यह एक छोटा सा प्रयास बिश्नोईज्म डॉट ऑनलाइन परिवार की तरफ से किया जा रहा है.जिसे आप सुधि पाठकों के सहयोग से समयानुकूल वृद्धतम रूप दिया जाएगा. यह ब्लॉग वर्तमान प्रौयोगिकी दौर में अंतरजाल पर बिश्नोई समाज को एक सूत्र में बांधने की ओर वैचारिक क्रांति का आगाज है. बिश्नोइज्म एन इको धर्म Facebook पृष्ट व बिश्नोइज्म वेब पोर्टल परिवार तथा विभिन्न साहित्यकारों के सहयोग से इस पोर्टल को अद्यतन करने का प्रयास किया जाएगा. जांभाणी साहित्य के नवोदित सृजजनकर्ताओं के लिए लघु मंच के अनुरूप के रूप में बिश्नोइज्म डॉट ऑर्ग वेब पोर्टल कार्य करेगा. पिछले कुछ समय से एक ललक रही कि जांभाणी साहित्य का प्रचार प्रसार व समाज को एक वैश्विक मंच प्रदान किया जाए. जहां बिश्नोई समाज का गौरवशाली इतिहास, संस्कृति व साहित्य एक ही स्थान पर मिल सके व समाज के नवोदित साहित्यकारों को लेखन धारा से जोड़े जिससे लेखन के प्रति उनकी सुरुचि बनी रहे. साथ ही साथ सामाजिक सूचनाएं प्रत्येक बिश्नोई तक पहुंचाई जाए. इस दिशा में कुछ साथियों ने मिलकर बिश्नोइज्म डॉट आर्ग के रूप में समाज के लिए अंतरजाल पर वैचारिक मंच की स्थापना की है. यह सांस्कृतिक विरासत को सहेजने व पूर्वज प्रदत्त गौरवशाली परंपराओं का अक्षुण संरक्षण का प्रयास मात्र है. हालांकि वर्तमान में इस दिशा में कई सामाजिक संगठन, वेब पोर्टल व WhatsApp ग्रुप सक्रिय है जिनका उद्देश्य कपितय इस ब्लॉग से इन नहीं है. फिर भी इन सबके मध्य कुछ नए संकल्प के साथ कुछ नए विकल्प लिए यह ब्लॉग अपनी अलग व विशेष पहचान बनाएगा ऐसी आशा के साथ आपका साथी