प्रकृति के सजग प्रहरी शहीद श्री गंगाराम जी बिश्नोई की कहानी

प्रकृति के सजग प्रहरी : शहीद श्री गंगाराम जी बिश्नोई की कहानी

शहीद गंगाराम बिश्नोई फोटो || Bishnoism

12 अगस्त, 2000 की बात है मै कक्षा 5 में पढ रहा था बरसात का मौसम था, लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे। ठीक मेरे घर से 5 किमी की दुरी पर फुसाराम जी ईशरवाल का परिवार भी अपने खेत में काम कर रहा था । काम करने वाले व्यक्तियो में एक वन्य जीवो का रक्षक महान सिपाही शहीद गंगाराम बिश्नोई भी था । उनके खेत के पास ही कुछ शिकार परवर्ती के लोगों का भी घर है। सायं 5-6 बजे का वक्त था लोग अपने अपने घरों की तरफ जा रहे थे इतने में रेत के टिलो के बीच से गोली की आवाज़ सुनाई पङी ये आवाज़ सुनते ही गंगराम जी के जहन में एक ही बात आई कि निश्चित ही किसी शिकारी ने आज बेजुबान वन्य प्राणी पर वार किया है। गंगाराम भाई व धर्मपत्नी को खेत में ही छोङकर उस बन्दुक की गोली की आवाज़ की तरफ भाग पङे, थोङी दुरी पर एक शिकारी हिरण को लेकर भाग रहा था । 

बस गंगाराम ने वही से उसका पिछा शुरू किया। पेपाराम भील नामक शिकारी 3 किमी तक भागा लेकिन श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान का शिष्य कहा थकने वाला था उसने भी हार नहीं मानी और शिकारी के पास पहुंच गया। शिकारी ने हिरण को वही गिरा दिया और गंगाराम को ललकारा की हिम्मत है तो आगे बढ ।

हिरण प्रतिमा शहीद गंगाराम बिश्नोई शहीद स्थली

 वो वीर उस कायर की आवाज़ से कैसे घबराता, चल पङा गोली को सीने से लगाने के लिए ।उस शिकारी ने गंगाराम पर गोली चला दी और हिरण के साथ प्रकृति का पुजारी वहीं शहीद हो गया। देखते ही देखते लाखों लोग उस वीर के जयकारे लगाने के लिए एकत्रित हो गये। चेराई गाँव के बीचों बीच हिरण के साथ शहीद को समाधि दी गई , सरकार द्वारा मरणोपरांत शोरय चक्र से सम्मानित किया गया शायद भारत का प्रथम व्यक्ति है जिसे वन्य जीवो की रक्षा के लिए शहीद होने पर यह सम्मान मिला हो । शहीद का ये जज्बा देखकर सीना गर्व से प्रफुल्लित हो उठता है की कितना महान सिपाही था जो हिरणों के लिए मौत से भी नहीं डरा ।आज हमारी लाचारी व बेरूखी के कारण लाखों हिरण कुत्तों व शिकारियों का शिकार हो रहे है जिस कारण वे विलुप्त होने के कगार पर है। हम उसे बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है। 
हिरण रक्षार्थ शहीद श्री गंगाराम जी बिश्नोई प्रतिमा अनावरण लेख पटी

शायद वर्तमान हिरणों की दुर्दशा देखकर उन शहीदों की आत्मा भी रोती होगी की हमारे बलि भी लोगों की प्रेरणा नहीं बन पायी जिस कारण वन्य जीवो कि ये दशा हो रही होगी , नहीं तो लोग हमसे शिक्षा लेकर भी हिरणों की रक्षा के प्रति इतने बेरूखे कैसे? हम उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी अर्पित कर सकेंगे, जब जमीनी हकीकत पर हिरणों को बचा सकेंगे।हिरण लुप्त होते जाये और हम सिर्फ फुल चढाते चले तो शहीद भी सच्ची श्रृद्धांजलि नहीं मानेंगे । आओं चेराई जोधपुर के महान योद्धा गंगाराम बिश्नोई को उनकी पुण्यतिथि पर वन्य जीवो कि रक्षा के लिए कुछ ठोस प्रण लेकर सच्चीन श्रृद्धांजलि अर्पित करें ।।





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