उम्र 9 साल, सपना ओलम्पिक के मेडल जितने का

उम्र महज 9 साल, जज्बा ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का. ये कहानी है जोधपुर के निकटवर्ती गांवा गुढ़ा बिश्नोईयों के किसान परिवार में जन्मी पूजा बिश्नोई की. सपना पूरा करने के लिए पूजा रोजाना 5 से 7 घंटे मैदान में पसीना बहाती है. खुद से डेढ़-दो साल छोटे भाई कुलदीप के साथ पुशअप करती है. स्कूल जाती है और लौटकर फिर मैदान में दौड़ने निकल जाती है.
सौशल मीडिया पर पूजा के वीडियो देखकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली इतना प्रभावित हुए कि पूजा की पढ़ाई, न्यूट्रीशन और खेल गतिविधियों का खर्चा उठाना शुरू कर दिया. हाल ही मुम्बई में विराट कोहली फाउंडेशन की ओर से आयोजित इंडिया स्पोर्ट्स ऑनर समारोह में पूजा बिश्नोई को बुलाया गया. महान अभिनेता अमिताभ बच्चन भी पूजा की प्रतिभा से सम्मोहित हुए बिना नहीं रह सके. उन्होंने पूजा को सम्मानित किया और हर संभव मदद का वादा भी.
सोशल मीडिया पर एक्टिवः पूजा सोशल मीडिया पर एक्टिव है. इंस्टाग्राम पर तो उसके करीब 48 हजार फोलोअर है. ट्वीटर और फेसबुक पर भी पूजा लगातार सक्रिय रहती है. अपनी हर एक्टिविटी पोस्ट कराती है. सिक्स पैक एब्स ने दिलाई प्रसिद्धि! दरअसल पूजा अपने सिक्स पैक एब्स की वजह से सोशल मीडिया पर छाई है. दावा है कि पूजा सिक्स पैक एब्स बनाने वाली एशिया की सबसे छोटी लड़की है. इसके साथ ही वह 4 साल की उम्र से ही एथलेटिक्स में रूचि रखती है. पूजा ने जोधपुर मैराथन में 48 मिनट में 10 किलोमीटर दौड़ने का कीर्तिमान बनाया. छोटी उम्र में तीन किलोमीटर दोड़ 12.50 मिनट में पूरी कर चुकी है पूजा. अब वह अपने मामा श्रवण बुड़िया की निगरानी में एथलेटिक्स की तैयारी कर रही है. उसका सपना है कि वह उसेन बोल्ट जैसी धावक बने और भारत के लिए ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक हासिल करें.
गूगल ने पूजा के साथ सुट किया एड विडियो
गूगल ने #WithALittleHelp नामक विडियो द्वारा भारतीय महिला एथलिटिकों को प्रमोट किया है. जिसमें पूजा बिश्नोई ने भी भूमिका निभाई है.
ग्लोबल चाइल्ड अवार्ड 2020 (Global Child Prodigy Awards 2020)
से सम्मानित
ग्लोबल चाइल्ड अवार्ड में विश्व के टॉप 100 बच्चों को सम्मानित किया जाता है. पूजा को यह सम्मान उनके एथलिटिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु प्रदान किया गया.
मामा ही मेंटर
पूजा के पिता अशोक बिश्नोई किसान हैं. मां
मीमा देवी चूल्हा चौका संभालती है. पूजा कहती है कि उसकी मां अपने भाई श्रवण को अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनाना चाहती थी. श्रवण को स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ इंडिया में दाखिला भी मिल गया. लेकिन एक चोट के कारण वे अपना सपना पूरा नहीं कर पाए. अब श्रवण बुड़िया ही पूजा के कोच और उसके मेंटर हैं.
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