शहीद दिवस पर शैतानसिंह बिश्नोई को विनम्र श्रधांजली || Bishnoism
बिश्नोइज्म - एन इकॉ धर्म, बिकानेर
शहीद दिवस 30 जनवरी, 2020
जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना इस देश में सीमा पर पहरा देने वाले सजग सिपाहियों की तरह प्राकृतिक संपदा यथा पेड़ पौधे वन्य जीव जो हमारे दैनिक जीवन के सहायक चर है की रक्षा मैं सदैव तत्पर रहने वाले वीर सैनिक इस धरा पर मौजूद है जो बिश्नोई समाज के रूप में जाने जाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है देश की सीमा पर सैनिक शहीद होकर मां भारती की बाह्यय शत्रुओं से रक्षा करते हैं और ये सैनिक शहीद होकर मां भारती के आंचल (प्राकृतिक संपदा) की अपने ही देश में स्थित द्वि-पगु हिंसक शत्रुओं से रक्षा करते हैं।
आइए आज शहीद दिवस पर हम आपको ऐसी ही शख्सियत से रूबरू करवाते हैं। जिन्होंने वन्य जीव हिरण को शिकारी की गोली से बचाने के लिए अपने मस्तिष्क पर गोली खाई। प्राणाहुति देखकर मूक वन्य जीव को बचाया ऐसे महान शहीद का नाम है शैतान सिंह बिश्नोई ।
29 जनवरी, 2014 की मध्य रात्रि (30 जनवरी भोर वेेेेला से पूर्व) जब शैतान सिंह अपने घर पर सो रहे थे कि अचानक उन्हें आसपास शौर सुनाई दिया। उन्हें लगा कि कोई मूक वन्यजीव की जिंदगी से क्रूर मजाक कर रहा है और जब वो अपने भाई को लेकर आवाज की तरफ गए तो उनका शक यकीन में बदल गया। घर से कुछ ही दूरी पर शिकारी शिकार करने का मौका ताक रहे थे। मूक प्राणी की मौत को भला प्रकृति ही हितेषी बिश्नोई कैसे देख सकता था उसने शिकारियों से कहा :
15 अगस्त 2016 को भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत "राष्ट्रपति उत्तम जीवन रक्षक पदक" शहीद शैतान सिंह भादू से सम्मानित किया। ध्यातव्य रहे राष्ट्रपति उत्तम जीवन रक्षक पदक अपना जीवन जोखिम में डालकर किसी अन्य व्यक्ति की रक्षा करने वाले को दिया जाता है और हमारे लिए यह गर्व की बात है शहीद शैतान सिंह भादू यह पदक मूक वन्य जीव रक्षा लिए दिया गया। आइए हम सब मिलकर शहीद दिवस पर देश के लिए व देश की संपदा को बचाए रखने के लिए शहीद हुए सजग सिपाहियों को नमन करें।
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