श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर बगरे वाला धोरा (जिंझाला धोरा) || Shri Guru Jambheshwar Temple Bagare Wala Dhora (Ginjhala Dhora) || सैंसे भगत का धोरा || Bishnoism

सैंसे भगत का धोरा (जिंझाला धोरा) || बगरे वाला धोरा


भगवान जम्भेश्वर नाथूसर के परम भगत सैँसोजी के घर गए थे। उस समय गाँव के पास स्थित ऊँचे धौरे पर विश्राम किया था। उस दिन के बाद से उक्त धोरे पर सुबह शाम पूजा के समय अपने आप जीँझ बजने जैसी आवाज आती थी। जो पिछले 500 से अधिक वर्षों हो आसपास के लोगो को सुनाई देती थी। इसी कारण इस धोरे का नाम जिँझाला धोरा प्रसिद्ध है।

बगरे वाला धोरा श्रद्धाभाव से आकर धोक लगाने वाले की शारीरिक पीड़ा मिट जाती है।

कहते हैं बगरे वाला धोरे पर श्रद्धाभाव से आकर धोक लगाने वाले की शारीरिक पीड़ा मिट जाती है। हनुमानगढ़ जिले के ग्राम तन्दूरवाली निवासी सुरजारामजी गोदारा ने विक्रम संवत् 2041 फाल्गुन बदी दूज को जिँझाला धोरे पर प्रथम बार आसपास के गाँवो के भक्तों को साथ लेकर जम्भेश्वर मंदिर की नींव रखी थी। उस दिन से लगातार श्री गोदारा ने आजीवन 23 वर्षों तक तनमन धन से सेवा की व निर्माण कार्य करवाए। श्री गोदारा का 23 नवम्बर 2009 को देहावसन हो गया।

अब श्री गुरु जम्भेश्वर पारमार्थिक विकास समिति रजि. नामक संस्था उनके सुपुत्र श्री देवीलाल गोदारा के नेतृत्व में मंदिर की गतिविधियाँ संचालित कर रही है। नाथूसर गाँव के पास 500 बिघा ओरण जाम्भोजी के नाम से है।


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