शहीद निहालचन्द बिश्नोई- प्रथम असैन्य शौर्य चक्र विजेता
// 25 वीं पुण्यतिथि - 03.10.2020 - शहीद को विनम्र श्रद्धांजली //
मध्य सदी में प्राकृतिक संपदा संरक्षण की सुदीर्घ व नियोजित योजना का अभ्युथान महान संत सद्गुरु जाम्भोजी द्वारा बिष्णोइ पंथ की स्थापना से हुआ. विष्णोइ विचारधारा को मानने वाले लोगों में जाम्भोजी ने प्रकृति के प्रति प्रेम का बीजांकुरण किया जो समय के साथ मरुधर खेजड़ी की जड़ों सी उनके भीतर तक समाहित हो गई. अगर कहें प्रकृति संरक्षण बिष्णोइयों की मनोवृत्ति बन गई तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. विगत पांच सदियों में असंख्य बिष्णोइयों ने वन व वन्यजीवों को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया. इसी प्रकृति प्रेम की जलती ज्योत का जीता जागता उदाहरण अमर शहीद निहालचन्द धारणीयां है जो 3 अक्टुबर, 1996 को हिरण को बचाते हुए शहीद हुए .
जीवन परिचय:
निहालचन्द धारणीयां का जन्म बिकानेर जिले की डुंगरगढ़ तहसील के सांवतसर गांव के श्री हनुमानाराम जी धारणीयां के यहां हुआ. निहालचन्द धारणीयां को बच्चपन से ही वन व वन्य जीवों से लगाव था। हो भी क्यों न वन व वन्य जीवों की रक्षा का भाव बिश्नोई घर में जन्म लेने वाले हर बालक में बाल्यकाल से भर दिया जाता है। इसी प्रेम को निहालचन्द धारणियां ने अपने जीवन को अर्पित कर सार्थक किया। दिनांक 3 अक्टुबर, 1996 को बिकानेर जिले की डूंगरपुर तहसील के बाडनूं गांव में हिरण शिकार की सूचना निहालचन्द को मिली। शिकारियों ने छ: हिरण गोलियों से मार दिये। निहालचन्द ने गांव वालों को इकट्ठे किये और शिकार रोकने के लिए शिकारियों की तरफ चल दिये। इस वक्त उनके साथ मानव वन्य जीव प्रतिपालक मोखराम धारणियां व कुछ और लोग थे। शिकारियों ने इनको अपनी तरफ आते देख गोलियां चलानी शुरु कर दी । परन्तु बिश्नोई रूके नहीं अपने साथियों के साथ दृढ़ता से आगे बढ़ते चले। जिस कारण शिकारियों को मृत हिरणों को घटनास्थल पर छोड़ भागना पड़ा। भागते - भागते उन्होंने गोली चलाई जो निहालचन्द को लग गई जिससे श्री बिश्नोई गंभीर रूप से घायल हो गए और कुछ समय पश्चात श्री बिश्नोई ने घावों के कारण दम तौड़ दिया।
इस प्रकार निहालचन्द धारणीयां ने वन्य जीवों को शिकारियों से बचाने की बिश्नोई परम्परा को बनाए रखते हुए सर्वोच्य बलिदान दिया।
शौर्य चक्र से सम्मानित प्रथम असैन्य शहीद निहालचन्द धारणीयां
शहीद निहालचन्द को भारत सरकार ने मरणोपरान्त सर्वोच्य बलिदान के लिए वर्ष 1999 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया। ध्याव्त्य है कि शहीद निहालचन्द शौर्य चक्र से सम्मानित होने वाले पहले असैन्य है। उनकी धर्मपत्नि श्रीमती सम्पती देवी ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम श्नी आर के नारायण से शौर्य चक्र ग्रहण किया।


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