युवा सम्मेलन के बहाने बिश्नोई समाज का महासम्मेलन, महासभा रही कहीं पीछे

 युवा सम्मेलन के बहाने बिश्नोई समाज का महासम्मेलन, महासभा रही कहीं पीछे

युवा सम्मेलन लालासर साथरी 2022 | महंत स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य | IPS kailash Bishnoi


जय खीचड़।

लालासर साथरी पर जब से ब्रह्मलीन महंत स्वामी राजेंद्रानंद जी महाराज के सानिध्य में समाज की युवा सचेतक स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य ने बागडोर संभाली है तबसे उन्होंने न केवल समाज में धार्मिक जागृति का बीड़ा उठाया है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में समाज की उन्नति में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं। समाज को धार्मिक गुरुओं से यही अपेक्षा होती है। स्वामी जी ने अपने गुरु के सानिध्य में रहकर सर्वप्रथम तो गुरु जांभोजी के निर्वाण स्थल पर जांभाणी कथाओं का दौर प्रारंभ किया जिससे समाज के लोगों में अपने धर्म के प्रति जागृति आई है। जिससे प्राप्त हुई धनराशि से साथरी का जिर्णोद्धार किया गया, वर्तमान मंदिर भव्यता के मामले में मुकाम के सदृश ही है और महत्व भी समाज में दोनों मंदिरों का समान है। 

साथरी परिसर के पास स्वामी जी के सानिध्य में ही गौशाला का संचालन किया जा रहा है और यहां आने वाले लोगों के लिए रहने-खाने की व्यवस्था समाज के सहयोग से की जो काबिले-तारीफ है। स्वामी सच्चिदानंद जी जांभाणी साहित्य और संगीत को संजोने का कार्य कर रहे हैं। इस दिशा में इन्होंने गुरु महाराज के प्रेरक संदेशों और समाज की प्रेरक परंपरा को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय सम्मेलनों के माध्यम से अपने वक्तव्य द्वारा विश्व पटल पर रखा। जाम्भाणी संगीत के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को हमेशा प्रोत्साहित करते आए हैं इस हेतु लालासर साथरी में एसएस स्टूडियो की स्थापना भी की है। 

कुछ वर्ष पूर्व स्वामी जी ने समाज के युवा वर्ग को प्रेरित करने के उद्देश्य से बिश्नोई समाज के वार्षिक मेले (फाल्गुन) 1 दिन पहले लालासर साथरी में युवा सम्मेलन का प्रारंभ किया। कल के सम्मेलन सहित अब तक 5 युवा सम्मेलनों का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इस सम्मेलन में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता को प्राप्त कर चुके युवाओं सम्मानित किया जाता है साथ ही सफल युवा अपनी सफलता के अनुभव को समाज के सामने ही रखते हैं। जिसका सीधा व सकारात्मक प्रभाव समाज के शिक्षारत युवावर्ग पर पड़ता है। 

इस वर्ष पांचवा युवा सम्मेलन मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जिसकी चर्चा गांव की गलियों से लेकर शहर की सड़कों तक लोगों में देखने को मिल रही है। यह सम्मेलन कई मायनों में अहम रहा। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शिरकत की वहीं अध्यक्षता शिक्षाविद और उत्कर्ष के निदेशक निर्मल गहलोत ने की। शेखावत ने बिश्नोई समाज से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अगुवाई करने की अपील की। वह केंद्र में बिश्नोई समाज को आरक्षण देने के संबंध में भी समाज को आश्वस्त करते दिखे। शिक्षाविद निर्मल गहलोत ने भी समाज की 29 बेटियों को निशुल्क कोचिंग देने की घोषणा की। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता की बुलंदियों को छूने वाले युवाओं ने अपने अनुभवों को साझा किए और युवा वर्ग शिक्षा को महत्व को बताया व सफलता को प्रेरित किया। इस दौरान विधायक बिहारी लाल, पब्बाराम बिश्नोई व महासभा अध्यक्ष देवेंद्र बिश्नोई व समाज के कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। सम्मेलन को लेकर लोगों ने अच्छी और तीखी प्रतिक्रियाएं दी। समाज के विभिन्न वर्गों में सम्मेलन के राजनीतिकरण की चर्चाएं भी देखने मिल रही है। कुछ लोगों ने माना कि यह समाज का सम्मेलन न होकर भाजपा का सम्मेलन था। क्योंकि शेखावत के साथ भाजपा के नेताओं का जमावड़ा देखने को मिला लेकिन कांग्रेस के नेता नदारत रहे। तो क्या अब यह मान लिया जाए कि जैसे महासभा कांग्रेसी विचारधारा से प्रेरित लोगों को लेकर चलती आई है वैसे ही युवा सम्मेलन भी राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित है। अगर ऐसा है तो समाज के लिए यह अच्छी बात नहीं है सामाजिक स्तर पर संगठनों और संस्थाओं को राजनीतिक विचारधारा से उपर उठकर कार्य करना चाहिए। जहां महासभा के नव मनोनीत अध्यक्ष ने पिछले कुछ समय में यथासंभव अच्छे प्रयास करते हुए कार्य किए और मुकाम मेले के आयोजन के साथ खुला अधिवेशन आयोजित करवाना चाहा लेकिन संरक्षक की जिद्द के आगे उनकी एक न चली। इससे महासभा संरक्षक का को फायदा हुआ या नहीं यह तो अलग मसला है लेकिन युवा सम्मेलन को अवश्य फायदा हुआ। महासभा जो अपने आपको समाज की सर्वोच्चता का टेग लगाए घुमती है इस बार युवाओं ने इसमें बाजी मार ली और युवा सम्मेलन को बिश्नोई समाज का महासम्मेलन के रूप में आयोजित कर समाज में सर्वोच्चता का झंडा फहरा दिया। 

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