सम्मानित: आइए जानें Air commodore Rajendra Singh Bishnoi के बारे में

 

 सम्मानित: आइए जानें Air commodore Rajendra Singh Bishnoi के बारे में

सम्मानित: आइए जानें स्क्वाड्रन लीडर राजेंद्र सिंह बिश्नोई के बारे में


बिश्नोई समाज के लोग हमेशा पर्यावरण और देश रक्षा में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते‌ आए हैं। जरुरत पड़ने पर‌ दरख़्तों के दर्द को अपने भीतर समाकर प्राणाहुति देकर और देश रक्षा में  अग्रिम पंक्ति में लड़ते हुए शहादत को प्राप्त होने का गौरव इतिहास रहा है। शहादतों से इत्तर बहुतेरे बिश्नोई जन प्राकृतिक संपदा के संरक्षण और देश सेवा में लगे हुए हैं। इन्हीं प्रेरक व्यक्तित्वों में से एक है ऐरोकोमोडोर राजेंद्र सिंह बिश्नोई जिन्होंने भारतीय वायुसेना में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 1967 में अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।


जीवन परिचय:

राजेंद्र सिंह बिश्नोई का जन्म 1927 पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के जमींदार घराने में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान संकाय स्नातकोत्तर (M.sc) करने के पश्चात इन्होंने वर्ष 1950 में भारतीय वायु सेना की प्रशासनिक ब्रांच में ज्वाइन किया। जो जमीन पर ही कार्य करने वाली ब्रांच है किंतु राजेंद्र सिंह बिश्नोई कुछ अधिक साहसिक कार्य करना चाहते थे और इन्होंने पैराशूटिंग के स्पेशल सेंटर में वॉलिंटियर किया। ये रक्षा सम्बन्धी आत्मनिर्भरता के कार्यों के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकृत हुए। जून 1982 में वे   ऐरोकोमोडोर  के रूप में भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए और अब देवभूमि देहरादून में निवासित हैं। 

गुरु जाम्भोजी को मानने के साथ जानने वालों में राजेंद्र सिंह बिश्नोई अग्रणी है। यही वजह है कि इन्होंने सेना में अपने गौरव पूर्ण सेवाएं देने के पश्चात बिश्नोई धार्मिक विषयों पर ध्यान लगाया और बिश्नोई धर्म की दो पुस्तकों का सृजन किया। जो गुरु महाराज का जीवन चरित, उनके उपदेश, साथरियों के बारे में, खेजड़ली का बलिदान पर हिन्दी व अंग्रेजी में पुस्तक लिखी। इनके पुत्र श्री भगवंत बिश्नोई (IFS) क़ई देशों में भारतीय राजदूत रह चुके है।


स्वदेशी पैराशूट से कूदने वाले प्रथम व्यक्ति और  Caribou विमान से कूदने वाले प्रथम भारतीय 

स्क्वाड्रन लीडर राजेंद्र सिंह बिश्नोई वर्ष 1950 में भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे। इन्होंने पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल, भारतीय वायु सेना में मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर वर्ष 1963-64 में अपनी सेवाएं दी। स्क्वाड्रन लीडर बिश्नोई के पास कुल 265 पैराशूट अवरोही हैं। अक्टूबर 1963 में बिश्नोई ने भारतीय वायु सेना (IAF) में पैराशूट जंपिंग टीम का नेतृत्व किया, जो पहली बार समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर एक ड्रॉपिंग ज़ोन पर परीक्षण कर रही थी। स्क्वाड्रन लीडर राजेंद्र सिंह को स्वदेशी पैराशूट से कूदने वाले पहले व्यक्ति और कारिबू विमान से कूदने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त है।

स्क्वाड्रन लीडर राजेंद्र सिंह बिश्नोई ने प्रशिक्षण स्कूल में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, अलग अलग व नए विमानों से नए पैराशूट के साथ उच्च ऊंचाई पर लाइव जंप करने में नेतृत्व और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया। बिश्नोई की भारतीय वायुसेना में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1967 में अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।


देश के गौरव सैनिक Air commodore Rajendra Singh Bishnoi राजेंद्र सिंह बिश्नोई की उपलब्धियों पर समाज को गर्व है।


इसे भी पढ़ें:

Join us on WhatsappJoin us on Whatsapp

Hot Widget

VIP PHOTOGRAPHY