Rameshwar Bishnoi : किसान के बेटे ने उपनिरीक्षक परीक्षा में टॉप कर कांस्टेबल से SI बनकर रचा इतिहास

 

Rameshwar Bishnoi : किसान के बेटे ने उपनिरीक्षक परीक्षा में टॉप कर कांस्टेबल से SI बनकर रचा इतिहास

Rameshwar Bishnoi : किसान के बेटे ने उपनिरीक्षक परीक्षा 2018 में राजस्थान टॉप कर कांस्टेबल से SI बनकर रचा इतिहास
SI रामेश्वर बिश्नोई : Topper 2018



कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास से आप अपने लिए नए रास्ते बना सकते हैं, बस जरूरत है एक ईमानदारी से उठे हुए कदम की कुछ इसी तरह के अडिग हौंसलों और निरंतर प्रयासों की एक मिसाल है राजस्थान पुलिस की उपनिरीक्षक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले रामेश्वर बिश्नोई। हम संवाद कर रहे हैं राजस्थान पुलिस की उपनिरीक्षक परीक्षा 2018 में संपूर्ण राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले एक सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि के गांव की सामान्य शैक्षणिक वातावरण में पढ़े, किसानी करने वाले परिवार के शख्स की जिन्होंने जज्बातों को हौसला दिया और अपने एक लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके इन प्रयासों की, संघर्षों की कहानी को आप सभी पाठकों तक पहुंचाने की एक कोशिश प्रश्न उत्तर के रूप में की जा रही है। 


  • उपनिरीक्षक रामेश्वर बिश्नोई जी आपके प्रारंभिक शैक्षणिक जीवन व पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं? 
    मेरा जन्म वर्ष 1990 में बीकानेर जिले की नोखा तहसील के अंतर्गत कूदसु गांव में हुआ। मेरे पिताजी श्री सीताराम जी खदाव एक सामान्य किसान और माता जी एक गृहणी है। परिवार में छोटे भाई-बहन हैं। छोटे भाई अध्यापक हैं तथा बहनों की शादी हो चुकी है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई। दसवीं कक्षा गांव से करने के बाद, 12वीं की पढ़ाई नोखा के सरकारी स्कूल में की। तत्पश्चात् स्नातक भी मैंने नोखा के सरकारी कॉलेज से किया तथा परास्नातक (इतिहास)  तक की पढ़ाई मैंने बीकानेर से की है।

  • आपने पुलिस की नौकरी कब ज्वाइन की तथा इसकी तरफ आपका रुझान कैसे बना?

     एक कारण तो यह रहा कि मैं स्कूल के दिनों से ही खो-खो खेल खेलने में रुचि रखता था, जिसकी वजह से शारीरिक रूप से मैं फिट था। इस कारण जब मैंने 12वीं 2007 में पास की, तब राजस्थान पुलिस की 2008 की भर्ती में शारीरिक परीक्षा को पास करने में कोई परेशानी नहीं हुई। साथ में शिक्षा के महत्व को मैं समझता था, इसलिए परीक्षा की तैयारी भी मैंने अपने स्तर पर निरंतर की। क्योंकि कॉन्स्टेबल भर्ती में पहले लिखित परीक्षा होती है। इसी दौरान राजस्थान में प्राथमिक स्तर के अध्यापक के लिए एजुकेशन डिप्लोमा में प्रवेश हेतू, प्री परीक्षा BSTC में भी मैंने राजस्थान में 93वीं । रैंक हासिल की। उस वक्त मेरे मन मे एक द्वंद्व भी रहा । कि किस तरफ जाया जाए। मैंने निश्चय किया कि पुलिस की नौकरी की जाए, क्योंकि उस समय परिवार में मैं बड़ा था और परिवार के लिए आर्थिक सहयोग करना मेरा कर्तव्य भी था। इसलिए अंतत: मैंने पुलिस को ज्वाइन करने का निर्णय लिया और 2008 में बीकानेर जिले में ज्वाइन किया । 


    पुलिस उप निरीक्षक परीक्षा का रुझान कैसे बना, आपको इतनी सफलता कैसे मिली ?

      जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैंने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी को समझते हुए में पुलिस में आया था। परन्तु नौकरी के साथ-साथ समय का प्रबंधन भी एक चुनौती होता है। मैंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और अपने विषयों को मजबूत किया। यह । सोचा की बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटी- । छोटी सीढ़ियां चढ़नी है और अपने वर्तमान जिम्मेदारी 1 को भी ईमानदारी से पूरा करना है। इसी बीच पारिवारिक जिम्मेवारी के रूप में वर्ष 2013 में वैवाहिक जीवन भी आरंभ हुआ। मुझे इस बात का अंदाज था कि निकट भविष्य में SI की भर्ती आएगी। वर्ष 2014 में मैंने ऑफिस वर्क की ड्यूटी ज्वाइन की और बीकानेर में रहने लगा। शाम को ड्यूटी करने के बाद कोचिंग भी ज्वाइन की। इसी बीच वर्ष 2016 में SI की भर्ती निकली। परंतु यह परीक्षा हो नहीं पाई और वर्ष 2018 में एक बार फिर से प्रकाशित हुई । इसी बीच मैंने RAS (राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा का प्रथम चरण भी वर्ष 2018 में पास किया, जिससे मुझे हौंसला मिला। उप निरीक्षक की परीक्षा का परिणाम जनवरी 2019 को आया। शारीरिक परीक्षा सितंबर 2019 से हुई और फाइनल रिजल्ट सितंबर 2020 को आया। जिसमें मेहनत रंग लाई और राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। महत्वपूर्ण यह रहा कि लिखित परीक्षा में मेरे अच्छे नंबर (326/400) थे और एक इंटरव्यू भी अच्छा हुआ जिससे मैं टॉप रैंक तक पहुंच पाया।
      

    शैक्षणिक योग्यता

    • 10वीं : राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कुदूस (नोखा) 53%
    • 12वीं  : राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नोखा
    • B.A. MLB गवर्नमेंट कॉलेज, नोखा 62%
    • M.A. (इतिहास) गवर्नमेंट डूंगर कॉलेज, बीकानेर 57% 


    रामेश्वर जी आपके द्वारा भविष्य में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों के लिए क्या संदेश है और आपके स्वयं की क्या योजना है ? 

     मैं स्वयं की योजनाओं के बारे में बताऊं तो प्रथम तो यह की अब मैं अधिक जिम्मेदार पद पर पहुंचा हूं। यहां भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा तथा शिक्षण 60% की योजनाओं में प्रशासनिक सेवाओं के लिए योजना बनाकर तैयारी करते हुए प्रयास करूंगा कि आगे बढ़ा जाए। भविष्य में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों को मैं मूल मंत्र बताना चाहूंगा।
    1.  आज के तकनीकी युग में इंटरनेट का प्रयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह हमें हमारे प्रश्नों के जिज्ञासाओं को तुरंत उत्तर उपलब्ध करवाता है। साथ यह ही जानकारी का भंडार है, यह एक सकारात्मक पक्ष है। बुरा पक्ष यह है कि विद्यार्थी को विभिन्न सोशल मीडिया के ऐप्स आपकी तरफ आकर्षित करते हैं और यह हमारे । समय का सबसे ज्यादा दोहन करने लगते हैं तो हमारे लिए यह अभिशाप बन जाता है। विद्यार्थी को जितना हो सके सोशल मीडिया के ऐप्स से बचना चाहिए तथा अपना समय का सदुपयोग से अपने निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर सके। दृढ़ संकल्प हो कर सोशल मीडिया   को अवॉइड करें।
    2. संगति सबसे महत्वपूर्ण है। किस प्रकार की मित्र मंडली में आप बैठते हैं वैसे ही सोच, वैसा ही आपका एटीट्यूड बन जाता है। आपके आई क्यू लेवल को बढ़ाने में मित्र का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। अपने मित्र का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण पहलू है जो आप के साथ समय का सदुपयोग करें, विषयों पर आपके साथ चर्चा करें सकें ऐसी संगति होना ही श्रेष्ठ है।
    3. निरंतर प्रयास करें, रणनीति बना कर विषय को पढ़ें। पुनः दोहराव बहुत आवश्यक है। किसी भी लक्ष्य, को प्राप्त करने के लिए अपनी योजना को ईमानदारी से फॉलो करें। मन में सकारात्मक नकारात्मक लहरें । उठती रहती हैं, इनके बारे में ज्यादा चिंतित ना हो। मस्तिष्क को काम में लगाए रखें। स्वयं से ईमानदार रहेंगे तो निश्चित ही सफलता आपके कदम चूमेगी। सभी बंधुओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 




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