श्री जम्भेश्वर साथरी गुड़ा बिश्नोईयान | Bishnoism.Org
सम्वत 1787 भादवा सुदी 10(दशमी) मंगलवार को 84 गांवों के 363 शूरवीर बिश्नोईयों ने खेजडली के वृक्षों के लिए अपने देह की बलि दी थी अर्थात् धर्म के लिए हँसते-हँसते शहीद हो गये थे।
उनकी स्मृति में श्री जम्भेश्वर साथरी गुड़ा बिश्नोईयान का निर्माण करवाया गया है। इस साथरी के समीप दक्षिण की और एक छोटा सा तालाब है, जिसे "पंचायो नाड़ियो" कहते है क्योंकि यहाँ पर 84 गांवों के बिश्नोईयों की खेजडली खडाणे के बाद पंचायत हुई थी। यही पर महाराजा जोधपुर रियासत ने क्षमा याचना करते हुए बिश्नोइयो के क्षेत्र में पेड़ नहीं काटना और कभी भी पशु व पक्षी का शिकार नहीं करने की प्रतिज्ञा की।
उस छोटे से तालाब में एक कुआं है जो आजकल मिट्टी से भर गया है। यहाँ पर गुरु महाराज भी देश भ्रमण व धर्म प्रचार करते हुए आये थे। यहाँ निज साथरी के नीचे पहले कई वर्ष तक चबूतरा(चोतरा) बना हुआ था। खेजडली के 363 शहीदों में लगभग 150-200 शहीदों को इस चबूतरे के नीचे ही समाधी दी गई है। और इस साथरी में आज-कल शुद्ध घी की अडिग ज्योति जलती है। चारों तरफ हरियाली है।
इसे भी पढ़ें:
 Follow us on Google News
Follow us on Google News 