आसोज मेला मुकाम कल से, 25 सितंबर को उप राष्ट्रपति धनखड़ आएंगे

 

 आसोज मेला मुकाम कल से, 25 सितंबर को उप राष्ट्रपति धनखड़ आएंगे

आसोज मेला मुकाम 2022 कल से, 25 सितंबर को उप राष्ट्रपति धनखड़ आएंगे





बिश्नोई समाज के आस्था के केंद्र पर 4 दिवसीय वार्षिक मेला “आसोज मेला मुकाम 2022” कल शुक्रवार से शुरु होगा जो 26 सितंबर तक भरेगा। इस बार नवनिर्वाचित उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बतौर मुख्यातिथि मेले में शिरकत करेंगे।

हाइलाइट्स

आसोज मेला मुकाम 23 सितंबर से 26 सितंबर तक भरेगा
 25 सितंबर को उप राष्ट्रपति धनखड़ आएंगे  है.
‘बिश्नोई रत्न’ चौधरी भजनलाल की मूर्ति का अनावरण किया जाएगा
कोरोना के बाद पहली बार खुला अधिवेशन का आयोजन होगा


उपराष्ट्रपति धनकङ ‘बिश्नोई रत्न’ चौधरी भजनलाल की मूर्ति का अनावरण कर धर्मसभा को करेंगे संबोधित


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 25 सितंबर को दोपहर 12 बजे मुकाम पहुंचेंगे। वे मुकाम में नवनिर्मित चौधरी भजनलाल बिश्नोई की मूर्ति का अनावरण, नवनिर्मित स्टेज व सौंदर्यीकरण का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान होने वाले बिश्नोई समाज के खुले अधिवेशन में उप राष्ट्रपति समाज को संबोधित करेंगे। उपराष्ट्रपति के अलावा पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई, महासभा अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मंत्री कैलाश चौधरी, राज्यसभा सदस्य राजेंद्र गहलोत, उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ एवं बिश्नोई समाज के विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, महेन्द्र विश्नोई, सुखराम विश्नाई, किशनाराम विश्नोई, धूड़ाराम बिश्नोई, पूर्व सांसद जसवंत सिंह, हीरालाल बिश्नोई, केके बिश्नोई सहित अन्य जनप्रतिनिधि व बिश्नोई समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे करेंगे।


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आसोज मेला 23 सितंबर से 26 सितंबर तक भरेगा


आसोज मेला 23 सितंबर से शुरू होकर 26 सितंबर तक भरेगा। 24 सितंबर को रात्रि में जम्भ-जागरण होगा, जिसमें समाज के संत-महापुरुषों द्वारा सत्संग किया जाएगा। 25 सितंबर को सूर्योदय के साथ हवन शुरू होगा। तत्पश्चात बिश्नोई समाज का खुला अधिवेशन होगा। मेले में व्यवस्थाओं के लिए पुलिस प्रशासन के साथ 1300 से सेवकदल के स्वयंसेवक सेवाएं देंगे।


कोरोना के बाद पहली बार खुला अधिवेशन का आयोजन होगा

इस बार मेले में कोरोना काल के पश्चात पहली बार खुला अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा। गोकि गत वर्ष महासभा अध्यक्ष द्वारा प्रिंट मीडिया में खुला अधिवेशन आयोजन के संबंध में खबरें छपवाने के पश्चात महासभा संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने कोरोना का हवाला देकर लेटर जारी कर खुला अधिवेशन के आयोजन पर पाबंदी लगा दी थी। समाज के विरोध का सामना कर रहे कुलदीप बिश्नोई भी इस बार खुले अधिवेशन में भाग लेंगे। 


मेले में पर्यावरण संरक्षण का संदेश के साथ खम्मूराम बिश्नोई की टीम देगी सेवाएं 

मेले में पर्यावरण संरक्षण का संदेश के साथ खम्मूराम बिश्नोई की टीम देगी सेवाएं


बिश्नोई समाज विश्व में पर्यावरण संरक्षक समुदाय के रूप में जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रेमी खम्मूराम बिश्नोई अपनी मंडली के साथ वर्षों से विभिन्न मेलों में जाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ वहां मेलार्थियों द्वारा फैंके जाने वाले कचरे, प्लास्टिक को उठाकर साफ-सफाई करते हैं। इस बार भी वो अपनी टीम के साथ सेवाएं देंगे।

 

कृषक वर्ग पहला बिलोना और धान चढ़ाते हैं गुरु चरणों में

गुरु जांभोजी के संदेश “पर्यावरण संरक्षण व जीव दया पालणी” का पालन में प्रत्येक बिश्नोई दृढ़ता से करता है। बिश्नोई समाज के अधिकांश लोग खेतीहर हैं। मेले के अवसर पर वो अपनी नव-ब्याही गायादि का पहले बिलोने का घी व उपजे धान के ढेर (बोळ) से कुछ अंश अपने गुरु के श्रीचरणों में अर्पित करते आए हैं। इस प्रयास से मेले में वर्ष भर के जाम्भाणी-यज्ञ हेतु घी व पक्षियों के चुग्गे हेतु अनाज एकत्रित हो जाता है। 


आसोज मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुजन मुकाम समराथल, पीपासर और लालासर करते हैं दर्शन

आसोज मेले के अवसर पर देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु जन बिश्नोई समाज के विभिन्न धामों की परिक्रमा करते हैं। श्रद्धालु सर्वप्रथम बिश्नोई समाज के उद्गम स्थल ‘समराथल धाम’ पर पहुंचकर पाहल लेते हैं और मंदिर परिक्रमा करते हैं तत्पश्चात निज मंदिर ‘मुक्तिधाम मुकाम’ पहुंचकर  जाम्भाणी-यज्ञ में आहुति देकर गुरु जाम्भोजी की समाधि के दर्शन करतें हैं। धर्म-सभा में विभिन्न जनप्रतिनिधियों को सुनते हैं और फिर जाम्भोजी के जन्मस्थल ‘पीपासर धाम’ और निर्वाण स्थली ‘लालासर साथरी’ पहुंचकर गुरु जाम्भोजी के परम संदेशों पर चलने के संकल्प के साथ अपने-अपने गंतव्य को लौटते हैं।

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