शक्ति का तीसरा रूप: पेरा ऐथलीट संगीता बिश्नोई

जोधपुर की रहने वाली संगीता बिश्नोई ने उन महिलाओं के लिए मिसाल है जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर सफलता प्राप्त करने को प्रतिबद्ध है। संगीता को प्रथम महिला बिश्नोई अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक पदक विजेता का गौरव हासिल है।

शक्ति का तीसरा रूप: पेरा ऐथलीट संगीता बिश्नोई


 संगीता मूलत: बुद्धनगर, जोधपुर की रहने वाली है। एक हादसे ने संगीता को भले ही दिव्यांग बना दिया, लेकिन उसने अपने हौसले की उड़ान से जीवन की हर चुनौती स्वीकार करते हुए खेलकूद के क्षेत्र में सफलता का परचम लहराया। संगीता को प्रथम महिला बिश्नोई अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक पदक विजेता का गौरव हासिल है।

वर्ष 1996 में मामा के विवाह समारोह के दौरान 1100 केवी की हाईटेंशन विद्युत लाइन की चपेट में आने के कारण संगीता ने दांया हाथ और पैर गंवा दिया। उस वक्त वह महज 7 वर्ष की थी। एक हाथ और पैर गंवाने के बाद भी संगीता ने मिनी पैरा ओलम्पिक गेम्स, इंग्लैण्ड 2003-04 में जीता स्वर्ण पदक जीतकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। इसके बाद संगीता ने राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय अनेक प्रतियोगिताओं में पदक जीते‌ हैं।


इंसान की शक्ति उसकी आत्मा होती है और आत्मा कभी विकलांग नहीं होती। आत्मबल के सहारे ही में सफल होती आई हूं।

संगीता विश्नोई,

अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता

संगीता ने हालातों से समझौता न कर आगे बढ़ने की चाह रखने वाली महिलाओं के लिए एक हाथ और पैर के सहारे शीर्ष सफलता की मिसाल पेश की है।


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