बिश्नोई समाज में अमावस्या का महत्व

 बिश्नोई समाज में अमावस्या का महत्व 

बिश्नोई समाज में अमावस्या का महत्व


बिश्नोई समाज में अमावस्या का बहुत महत्व है। बिश्नोई समाज के 29 नियमों में से एक नियम है कि बिश्नोई लोगों को प्रत्येक महीने अमावस्या के दिन उपवास रखना चाहिए। अमावस्या को बिश्नोई लोग "जाम्भाणी अमावस्या" कहते हैं।

बिश्नोई समाज में अमावस्या के दिन उपवास रखने का महत्व निम्नलिखित है:

  • आध्यात्मिक महत्व: अमावस्या के दिन उपवास रखने से व्यक्ति के मन को एकाग्रता और शांति मिलती है।
  • सामाजिक महत्व: अमावस्या के दिन उपवास रखने से व्यक्ति को परमात्मा से जुड़ने का मौका मिलता है।
  • पर्यावरणीय महत्व: अमावस्या के दिन उपवास रखने से व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने में मदद मिलती है।

बिश्नोई समाज में अमावस्या के दिन उपवास रखने के अलावा, अन्य कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • हवन: अमावस्या के दिन हवन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
  • भजन-कीर्तन: अमावस्या के दिन भजन-कीर्तन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ होता है।
  • दान-पुण्य: अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्यफल मिलता है।

बिश्नोई समाज में अमावस्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है। इस दिन बिश्नोई लोग अपने जीवन में शांति, आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रार्थना करते हैं।

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