बिश्नोई सभा सिरसा ने प्रो. नरसी राम बिश्नोई को 'बिश्नोई गौरव सम्मान' से अलंकृत किया

 बिश्नोई सभा सिरसा ने प्रो. नरसी राम बिश्नोई को 'बिश्नोई गौरव सम्मान' से अलंकृत किया


कुलपति प्रो. नरसी राम को बिश्नोई गौरव सम्मान: बिश्नोई सभा, सिरसा द्वारा आयोजित जाम्भाणी संस्कार शिविर का समापन


 प्रो. बिश्नोई ने मुख्य अतिथि के रूप में निभाई भूमिका 


सिरसा, 8 जून 2025

बिश्नोई सभा सिरसा और जाम्भाणी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय जाम्भाणी संस्कार शिविर का समापन समारोह आज बड़े ही हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई, कुलपति, गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार, विशेष रूप से उपस्थित रहे।


समारोह की शुरुआत जाम्भाणी वाणी के मंत्रोच्चार और पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुई। बिश्नोई सभा सिरसा के प्रधान श्री खैमचंद बैनीवाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। अपने प्रेरणादायक संबोधन में कुलपति प्रो. बिश्नोई ने युवाओं को जाम्भाणी विचारधारा अपनाने, प्रकृति और जीवों की रक्षा करने तथा शिक्षा के माध्यम से समाज सेवा में आगे आने का आह्वान किया।


उन्होंने कहा, *"गुरु जंभेश्वर जी महाराज की शिक्षाएं आज के पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। हमारा दायित्व है कि हम इन्हें जीवन में उतारें और भावी पीढ़ियों को भी इन संस्कारों से जोड़ें।"* 


समारोह के दौरान *बिश्नोई सभा सिरसा द्वारा प्रो. नरसी राम बिश्नोई को 'बिश्नोई गौरव सम्मान' से अलंकृत किया गया* । यह सम्मान उन्हें पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता संवर्द्धन, और सामाजिक चेतना फैलाने के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर रहते हुए प्रो. बिश्नोई ने विश्व पर्यावरण संरक्षण की अग्रदूत मां अमृता देवी बिश्नोई के नाम भवन का नामकरण भी किया था।

इसके अलावा कुलपति प्रो. बिश्नोई के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार में भी मां अमृता देवी बिश्नोई के गौरवशाली इतिहास को प्रतीमा एवं शीला लेखों के माध्यम से उकेरा जा रहा है। सभा ने विशेष रूप से उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिसर में चलाए जा रहे वृक्षारोपण अभियान, जल संरक्षण परियोजनाओं तथा स्वच्छता अभियानों की प्रशंसा की।


कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के गणमान्य नागरिक, पर्यावरण प्रेमी, साहित्यकार, युवा छात्र-छात्राएं एवं महिलाएं उपस्थित रहीं। 

यह समापन समारोह न केवल एक संस्कार शिविर की समाप्ति थी, बल्कि समाज में जागरूकता, संस्कृति और प्रकृति संरक्षण के प्रति नई चेतना का संचार भी था।

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