कैप्टन वागाराम विश्नोई ने झरनों से बहते रेतीले धोरों से निकलकर तैराकी में जीते राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल

 कैप्टन वागाराम विश्नोई ने झरनों से बहते रेतीले धोरों से निकलकर तैराकी में जीते राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल 

कैप्टन वागाराम विश्नोई ने झरनों से बहते रेतीले धोरों से निकलकर तैराकी में जीते राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल


रेगिस्तान के वाशिंदे सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में शीर्ष मुकाम हासिल कर इस धरती का गौरव बढ़ाते आए हैं। कैप्टन वागा राम विश्नोई इन्हीं प्रभावशाली लोगों में से एक है।


कैप्टन वागा राम विश्नोई ने बाडमेर की धरती से निकलकर सेना में सेवारत रहते हुए देशभर में तैराकी में तगमे (मेडल) हासिल कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। 

पश्चिमी मरुस्थल में बसा बाड़मेर जहां बहते धोरे तो देखे जा सकते हैं परन्तु पानी की आस बेमानी रहती‌ है। इन झरने बहते धोरों में अपने गद्दी दार पेरों से सरपट‌ दौड़ लगाते ऊंटों की तरह कैप्टन वागा राम विश्नोई पानी में तैरते हुए तैराकी में गोल्ड मेडलिस्ट बन गए।


कैप्टन वागा राम विश्नोई ने सेवारत रहते हुए कई तैराकी प्रतियोगिता में सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए मेडल जीते। अब सेवानिवृत्ति के पश्चात बेंगलुरु में युवाओं को तैराकी के लिए तैयार कर रहे हैं। और राष्ट्रीय खेलों में तैराकी के आयोजन की शीर्ष मंडली में शामिल है।

कैप्टन विश्नोई द्वारा प्रशिक्षित युवाओं ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में देश का नाम रोशन किया है।


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